गुरुग्राम, फरीदाबाद पुलिस कमिश्नरों के पास धारा 144 CRPC में जिला मैजिस्ट्रेट‌ की शक्ति नहीं?

गुरुग्राम: हालांकि पंचकूला, सोनीपत और झज्जर पुलिस कमिश्नरों‌ के पास है ऐसी शक्ति

 

गुरुग्राम: इसी माह झज्जर जिले में हरियाणा प्रदेश का पांचवा पुलिस कमिश्नरेट स्थापित किया गया. गत 8 मार्च को प्रदेश सरकार के गृह विभाग द्वारा इस सम्बन्ध में गजट नोटिफिकेशन जारी की गयी.

2004 बैच के आईपीएस बी.सतीश बालन, जो आई.जी. (पुलिस महानिरीक्षक) रैंक में हैं, एवं जो बीते एक वर्ष जनवरी,2023 से सोनीपत के पुलिस कमिश्नर के पद पर तैनात हैं, उन्हें साथ साथ झज्जर पुलिस कमिश्नर का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया है.
हालांकि अप्रैल- मई में निर्धारित 18वी लोकसभा आम चुनाव दौरान उक्त आईपीएस के पास दो‌ पुलिस कमिश्नरों‌ के कार्यभार पर चुनाव आयोग को लिखकर आपत्ति दर्ज कराई गई है.

बहरहाल पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि हरियाणा के पांच ज़िलों- फरीदाबाद, गुरुग्राम,पंचकूला, सोनीपत और झज्जर जहाँ अब पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था हैं, वहां पर जिला एसपी की बजाए न्यूनतम आई.जी. (इंस्पेक्टर जनरल – पुलिस महानिरीक्षक) रैंक के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी बतौर पुलिस कमिश्नर तैनात किये जाते हैं. हालांकि इससे ऊपर के रैंक अर्थात ए.डी.जी.पी. रैंक का अधिकारी भी पुलिस कमिश्नर तैनात हो सकता है. वर्तमान में गुरुग्राम में 1998 बैच के आईपीएस विकास अरोड़ा और फरीदाबाद में 2003 बैच के आईपीएस राकेश कुमार आर्य बतौर पुलिस कमिश्नर तैनात हैं. वहीं पंचकूला पुलिस कमिश्नर का अतिरिक्त कार्यभार 1999 बैच के आईपीएस और अंबाला पुलिस रेंज के आईजी सिबास कबिराज के पास है.

विकास अरोड़ा और सिबास कबिराज दोनों आईपीएस में 25 वर्ष सेवा पूरी करने उपरान्त ए.डी.जी.पी रैंक में प्रमोशन के योग्य हो गये हैं हालांकि इन दोनों की औपचारिक पदोन्नती की जानी बाकी है.

हेमंत ने बताया कि सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) की धारा 144 में जिला मजिस्ट्रेट (डीएम- ज़िलाधीश ), सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम – उपमंडलाधीश ) या राज्य सरकार द्वारा विशेष तौर पर प्राधिकृत एग्जीक्यूटिव (कार्यकारी ) मजिस्ट्रेट अपने अपने सम्बंधित ज़िले/क्षेत्र में उपयुक्त आदेश आदि जारी कर सकता है.

हालांकि जहाँ तक प्रदेश के महानगर जिलों – गुरुग्राम और फरीदाबाद एवं पंचकूला का विषय है, तो इन तीनो में गुरुग्राम (पहले गुडगाँव ) में जून, 2007 में , फरीदाबाद में अगस्त, 2009 में जबकि पंचकूला में अक्टूबर 2016 में पुलिस कमिश्नरेट स्थापित किया गया था. वास्तव में अगस्त, 2011 में अंबाला और पंचकूला जिलों के लिए संयुक्त पुलिस कमिश्नररेट स्थापित किया गया था परंतु अक्टूबर, 2016 में उसमें से अंबाला जिले को बाहर निकालकर केवल पंचकूला जिले के लिए पुलिस कमिश्नररेट कायम रखा गया.

 

गुरुग्राम,उक्त तीनो ज़िलों में पुलिस कमिश्नर स्थापित करने की गजट नोटिफिकेशन, जो प्रदेश के गृह विभाग द्वारा जारी की गई थी, में से पंचकूला ज़िले के पुलिस कमिश्नर और वर्ष दिसम्बर,2022 में सोनीपत पुलिस कमिश्नर‌ और अब हालिया झज्जर पुलिस कमिश्नर को ही सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता ), 1973 की धारा 20 (1 ) में एग्जीक्यूटिव (कार्यकारी ) मजिस्ट्रेट जबकि धारा 133 और 144 में ज़िलाधीश ( डी.एम.) की शक्तियां प्रदान की गयी हैं जबकि उनके अधीन तैनात डीसीपी (पुलिस उपायुक्त ) एवं एसीपी (सहायक पुलिस आयुक्त) को हालांकि एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्रदान की गयी है. इस प्रकार पंचकूला, सोनीपत और झज्जर जिलों में धारा 144 में निषेधाज्ञा आदि के आदेश न केवल वहां तैनात पुलिस कमिश्नर के द्वारा बल्कि उसके अधीन आने वाले डीसीपी/एसीपी द्वारा भी जारी किये जा सकते है. हालांकि जहाँ तक गुरुग्राम और फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नरों का विषय है, उन्हें आज तक प्रदेश सरकार द्वारा उपरोक्त शक्तियां नहीं प्रदान की गई हैं.

अब प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि जब पंचकूला, सोनीपत और झज्जर के पुलिस कमिश्ननरों को धारा 144 में ज़िलाधीश और उसके अधीन डीसीपी/एसीपी को धारा 144 सीआरपीसी में कार्यकारी मजिस्ट्रेट की शक्तियां प्रदान की जा सकती है, तो दोनों महानगरों गुरुग्राम और फरीदाबाद, जहाँ पिछले कई वर्षो से पुलिस कमिशनेरेट स्थापित हैं एवं जहाँ इनके अधीन कई पुलिस ज़िले भी हैं, वहां के पुलिस कमिश्नरों को ऐसी शक्ति क्यों नहीं प्रदान की गयी है.

आज तक गुरुग्राम और फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर को धारा 144 में ज़िलाधीश तो दूर, उक्त धारा में कार्यकारी मजिस्ट्रेट की शक्ति तक प्रदान नहीं की गयी है जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है.

वर्तमान में हरियाणा के सभी ज़िलों में पंचकूला, सोनीपत और झज्जर को छोड़कर शेष ज़िलों में धारा 144 में आदेश सम्बंधित ज़िले के डीसी (उपायुक्त ) द्वारा ज़िलाधीश के तौर पर ( या ज़िले के उपमंडलों में एसडीएम) द्वारा जारी किये जा सकते हैं जिनमें गुरुग्राम और फरीदाबाद ज़िले (पुलिस कमिश्नरेट ) भी शामिल है.

अब चूँकि हरियाणा पुलिस कानून, 2007 की धारा 8 के अंतर्गत स्थापित हर पुलिस कमिश्नरेट के संबंध में इसी धारा में उल्लेख किया गया है कि जहाँ भी पुलिस कमिश्नरेट होंगे, वहाँ विभिन्न कानूनों में जिला मजिस्ट्रेट (डी.एम.) को प्रदान शक्तियां वहाँ के संबंधित पुलिस कमिश्नर द्वारा प्रयोग की जाएगी,.

हेमंत ने प्रदेश के गृह विभाग को गत वर्षों में कई लिखकर अपील की है कि या तो पंचकूला, सोनीपत और झज्जर की तर्ज पर गुरुग्राम और फ़रीदाबाद के पुलिस कमिश्नरों को भी उनके संबंधित पुलिस कमिश्नरेट ( जिले) में धारा 144 सीआरपीसी में डीएम-ज़िलाधीश की शक्तियां प्रदान की जाएं अथवा पंचकूला, सोनीपत और अब झज्जर पुलिस कमिश्नर से इस सम्बन्ध में पहले से प्रदान शक्ति वापिस लेकर जिले के डीसी को दे देनी चाहिए.

हरियाणा में सभी पुलिस कमिश्नरों की अपने अपने पुलिस कमिश्नरेट में शक्तियां एक समान ही होनी चाहिए जोकि हरियाणा पुलिस कानून, 2007 की धारा 8 के अनुसार आवश्यक भी है.

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