अम्बाला लोकसभा सीट: बराड़ा उपमंडल में बिजेंद्र सिंह के स्थान पर अब अश्वनी मलिक होंगे नए एस.डी.एम.
अम्बाला लोकसभा सीट: बिजेन्द्र की चुनाव प्रक्रिया दौरान निर्धारित सेवानिवृति को आधार बनाकर एडवोकेट ने चुनाव आयोग को भेजा था नोटिस
प्रदेश के 18 उपमंडलों में 5 वर्ष से कम एच.सी.एस. सेवा वाले तैनात एस.डी.एम. विरूद्ध भी आयोग को लिखा गया है
अम्बाला लोकसभा सीट: भारतीय चुनाव आयोग के निर्देशानुसार हरियाणा सरकार द्वारा प्रदेश की अम्बाला (आरक्षित) लोकसभा सीट के अंतर्गत पड़ने वाले मुलाना (आरक्षित) विधानसभा हलके में तैनात
बराड़ा के उप-मंडल अधिकारी (नागरिक)- एस.डी.ओ. (सिविल) अर्थात उपमंडलाधीश (एस.डी.एम.) बिजेंद्र सिंह, जो 2014 बैच के एच.सी.एस. (हरियाणा सिविल सेवा) अधिकारी हैं उनका तबादला कर उनके स्थान पर 2011 बैच के एच.सी.एस. अधिकारी अश्वनी मलिक को तैनात किया गया है. मलिक इसे पूर्व कैथल जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और साथ साथ कैथल डी.आर.डी.ए. के सीईओ पद पर तैनात थे. बिजेंद्र की ताज़ा तैनाती के आदेश फिलहाल जारी नहीं किये गये हैं.
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार (9416887788), जो अम्बाला लोकसभा क्षेत्र के एक रजिस्टर्ड मतदाता भी है, ने गत माह चुनाव आयोग और मुख्य निर्वाचन अधिकारी, हरियाणा को नोटिस भेजकर बराड़ा के निवर्तमान एस.डी.एम. बिजेंद्र सिंह को बदलने हेतु लिखा था क्योंकि बिजेंद्र 31 मई 2024 को हरियाणा सरकार की सेवा से रिटायर (सेवानिवृत्त ) हो रहे है जबकि आगामी लोकसभा आम चुनाव की पूरी प्रक्रिया 6 जून 2024 तक निर्धारित है. गत फरवरी माह में चुनाव आयोग द्वारा लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 22(1) में अंबाला लोकसभा सीट के लिए कुल पदांकित नौ असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर्स ( एआरओ) अर्थात सहायक निर्वाचन अधिकारियों में बराड़ा एस.डी.ओ. (सिविल) अर्थात एसडीएम भी शामिल हैं.
हेमंत का तर्क था कि अम्बाला लो.स. सीट की निर्वाचन प्रक्रिया में एक ऐसे ARO का सम्मिलित होना, जो चुनाव प्रक्रिया के दौरान सरकारी सेवा से ही रिटायर होने वाला हो, उपयुक्त नहीं है. चूंकि इस संबंध में उन्हें नोटिस भेजने के दो सप्ताह बाद भी कोई जवाब नहीं प्राप्त हुआ, इसलिए उन्होंने गत 6 अप्रैल को चुनाव आयोग में आरटीआई याचिका दायर कर इस संबंध में संपूर्ण जानकारी मांगी जिसका जवाब तो फिलहाल लंबित है हालांकि इसी बीच अब उपरोक्त एच.सी.एस. अधिकारी बिजेंद्र सिंह का बराड़ा एस.डी.एम. पद से तबादला कर दिया गया है.
हेमंत का कहना है कि यह बेहद आश्चर्यजनक है कि अगर प्रदेश सरकार को इस बात का पहले से ही बोध था कि बराड़ा उपमंडल के निवर्तमान एस.डी.एम. बिजेंद्र सिंह, जिन्हें चुनाव आयोग द्वारा अम्बाला लो.स. सीट के एक ए.आर.ओ. के तौर पर पदांकित किया गया, वह प्रदेश सरकार की सेवा से 31 मई 2024 को रिटायर हो रहे है, तो उन्हें समय रहते अर्थात 16 मार्च से पूर्व अर्थात आदर्श आचार संहिता लागू होने से पहले ही बराड़ा एस.डी.एम. पद से क्यों नहीं बदला गया.
बहरहाल, आचार संहिता लागू होने के बाद भारतीय चुनाव आयोग की स्वीकृति से ही हरियाणा सरकार द्वारा अम्बाला के बराड़ा उपमंडल में नए एस.डी.एम. अश्वनी मलिक की तैनाती की गई है.
हाल ही में हेमंत ने 2020 बैच के 18 एच.सी.एस. अर्थात पांच वर्ष से कम सेवा वाले अधिकारियों, जो वर्तमान में प्रदेश के 18 उपमंडलों में बतौर एसडीओ (सी)/एसडीएम तैनात हैं नामतः मोहित कुमार (हांसी), दर्शन यादव (मानेसर), हरबीर सिंह (भिवानी), ज्योति (इसराना), अमित कुमार- द्वितीय (सोनीपत), मयंक भारद्वाज (नांगल चौधरी), जय प्रकाश (रादौर), रवींद्र मलिक (बेरी) ), प्रतीक हुड्डा (टोहाना), पुलकित मल्होत्रा (शाहाबाद ), अमित मान (बड़खल), अभय सिंह जांगड़ा (डबवाली), अमित (समालखा), अमित कुमार- तृतीय (लोहारू), अजय सिंह (जुलाना), राजेश कुमार सोनी (घरौंडा) ), अमन कुमार (पेहोवा), गौरव चौहान (पंचकूला), नसीब कुमार (लाडवा), गुलज़ार मलिक (उचाना कलां) और देवेन्द्र शर्मा (बिलासपुर) के विरूद्ध भी चुनाव आयोग को लिखकर उन्हें बदलने को क्योंकि अक्टूबर, 2020 में प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव विजय वर्धन द्वारा एच.सी.एस. कैडर संख्या निर्धारण आदेश, जो मोजूदा तौर पर भी लागू है, में एस.डी.ओ. (सिविल) अर्थात एस.डी.एम. के पदों को स्पष्ट तौर पर सीनियर स्केल और सिलेक्शन ग्रेड अर्थात 5 वर्ष से 15 वर्ष तक की एच.सी.एस. सेवा वाले अधिकारियों के लिए दर्शाया गया है.
उपरोक्त 2020 बैच के सभी 18 एच.सी.एस. अधिकारियों को उनके पद अर्थात उनके एसडीओ (सी)/एस.डी.एम. तैनात होने के फलस्वरूप चुनाव आयोग द्वारा सम्बंधित लोकसभा सीट के लिए ए.आर.ओ. के तौर पर पदांकित किया गया है.
हेमंत का कहना है कि कोई संदेह नहीं कि एच.सी.एस. अधिकारियों की तैनाती-तबादले करने की शक्ति राज्य सरकार (मुख्यमंत्री) में निहित होती है एवं ऐसा करना उनका विवेकाधिकार है परन्तु ऐसा करते समय प्रशासनिक सिद्धांतों की अनुपालना आवश्यक है ताकि तैनाती-तबादलों पर किसी प्रकार का कोई प्रश्न उत्पन्न न हो.
अगर एचसीएस कैडर निर्धारण आदेश में स्पष्ट तौर पर न्यूनतम पांच वर्ष की एचसीएस सेवा वाले अधिकारी को ही एसडीओ (सी)/एसडीएम पद के लिए योग्य माना गया है, तो इसकी सख्त अनुपालना की जानी चाहिए और विशेष तौर पर तब लोकसभा आम चुनाव के दृष्टिगत प्रदेश के उप-मंडलों में तैनात ऐसे एचसीएस अधिकारियों को भारतीय चुनाव आयोग द्वारा ए.आर.ओ. के तौर पर पदांकित किया गया हो.