Election 2024: क्या रणजीत चौटाला विधायक से त्यागपत्र के बाद भी बने रह सकते हैं प्रदेश सरकार में मंत्री ?

Election 2024: 12 मार्च को मंत्रीपद की शपथ के दौरान थे विधायक, अब त्यागपत्र स्वीकार होने की तारीख से बनेंगे पूर्व विधायक

 

 

Election 2024: आज तक ऐसा कोई उदाहरण नहीं जब एक मंत्री विधायक पद से इस्तीफा देकर बना रहा हो मंत्री

 

Election 2024: मौजूदा सदन के गैर- विधायक और पूर्व विधायक में होता है अंतर, मुख्यमंत्री नायब‌ सैनी वर्तमान 14 वीं हरियाणा विधानसभा के नहीं रहे सदस्य जबकि रणजीत सिंह ने मौजूदा सदन की सदस्यता‌ से दिया है इस्तीफ

 

 

Election 2024: चंडीगढ़ – आगामी 18वीं लोकसभा आम चुनाव के लिए भाजपा द्वारा हरियाणा की हिसार लोकसभा सीट से प्रदेश में इसी माह 12 मार्च को नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में गठित नई भाजपा सरकार में ऊर्जा (बिजली) विभाग और जेल विभाग के कैबिनेट मंत्री बनाये गए रणजीत सिंह चौटाला को पार्टी उम्मीदवार बनाया गया है।

 

Election 2024: रणजीत सिंह अक्टूबर, 2019 में सिरसा ज़िले की रानियां विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक निर्वाचित हुए थे. गत रविवार 24 मार्च की देर शाम ही वह औपचारिक तौर पर भाजपा में शामिल हुए. वह नवंबर, 2019 में बनी मनोहर लाल के नेतृत्व वाली भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में भी उक्त दोनों विभागों के कैबिनेट मंत्री थे।

 

भारत के संविधान‌ की दसवीं अनुसूची, जिसमें दल बदल विरोधी प्रावधान हैं, के अनुसार सदन का कोई निर्वाचित सदस्य, जो किसी राजनीतिक दल द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवार /प्रत्याशी से भिन्न रूप में सदस्य निर्वाचित हुआ है अर्थात उसका सदन में दर्जा निर्दलीय सदस्य का हो, वह उस सदन का सदस्य होने के लिए अयोग्य होगा यदि वह ऐसे निर्वाचन के पश्चात किसी राजनीतिक दल में शामिल हो जाता है. दूसरे शब्दों में हर निर्दलीय के तौर पर निर्वाचित‌ विधायक उसके कार्यकाल के दौरान कोई राजनीतिक पार्टी नही ज्वाइन कर सकता और अगर वह ऐसा करता है, तो‌ उसे सदन की सदस्यता से हाथ धोना पड़ेगा।

 

इसी बीच‌ पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और कानूनी विश्लेषक हेमंत कुमार ने एक रोचक परंतु महत्वपूर्ण कानूनी प्वाइंट उठाते हुए बताया कि अब यह देखने लायक होगा कि क्या मौजूदा 14वीं विधानसभा में निर्दलीय‌ तौर पर निर्वाचित विधायक रणजीत चौटाला ने रविवार शाम भाजपा में शामिल होने से पहले ही उनका रानियां सीट के विधायक पद से त्यागपत्र विधानसभा स्पीकर (अध्यक्ष) को सौंप दिया था अथवा उसके बाद अर्थात भाजपा में शामिल होने के बाद।

 

अगर उन्होंने भाजपा में शामिल होने से पहले अर्थात 24 मार्च की तारीख‌ को ही विधायक पद से उनका त्यागपत्र विधानसभा स्पीकर को सौंप दिया था, फिर तो‌ ठीक है अन्यथा अगर उन्होंने 25 मार्च या 26 मार्च की तारीख में त्यागपत्र दिया है,

 

तो इस्तीफे के बावजूद दल-बदल विरोधी कानून के प्रावधान के अंतर्गत उनके विरूद्ध उन्हें विधानसभा सदस्यता से अयोग्य घोषित करने की याचिका स्पीकर के समक्ष दायर की जा सकती है. वर्ष 2013 के सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के बाद न केवल सदन का सदस्य (विधायक) बल्कि सामान्य व्यक्ति भी ऐसी याचिका दायर कर सकता है।

Election 2024

हालांकि मंगलवार 26 मार्च की शाम को ही मीडिया में खबरें आईं कि रणजीत द्वारा विधायक पद से दिया गया इस्तीफ़ा विधानसभा स्पीकर के पास पहुंच गया है जिसे स्वीकार किया जाना हालांकि लंबित है. अब उस त्यागपत्र पर किस तारीख का उल्लेख है, यह फिलहाल सार्वजनिक नहीं है।

 

 

बहरहाल, क्या रानियां के विधायक पद से त्यागपत्र देने के साथ साथ रणजीत चौटाला को मौजूदा नायब सैनी सरकार के कैबिनेट मंत्री पद से भी त्यागपत्र देना बनता है, हेमंत ने बताया कि चूँकि इस माह 12 मार्च को मंत्रीपद की शपथ लेते समय रणजीत विधायक थे, इसलिए उस आधार पर तो उनका मंत्रिमंडल से भी त्यागपत्र देना तो बनता है जो मुख्यमंत्री के मार्फत प्रदेश के राज्यपाल को सौंपा जा सकता है।

 

Election 2024, विधायक न होते हुए भी कोई व्यक्ति प्रदेश का मुख्यमंत्री या मंत्री नियुक्त हो सकता है बशर्ते उस नियुक्ति के 6 महीने के भीतर वह व्यक्ति विधानसभा का सदस्य अर्थात विधायक बन जाए जैसे वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सैनी भी मौजूदा विधानसभा के सदस्य नहीं हैं.

 

हालांकि रणजीत चौटाला पर भी यह व्यवस्था लागू होगी अथवा नहीं, यह गौर करने योग्य है. वैसे रणजीत चौटाला के मामले में उनकी अधिकतम 6 महीने तक मंत्री बने रहने की उपरोक्त अवधि उनके विधायक पद से दिए गये त्यागपत्र के स्वीकार होने की तारिख से ही आरम्भ होगी।

 

Election 2024: बहरहाल, मौजूदा विधानसभा का सदस्य न होना‌ अर्थात गैर-विधायक होना और वर्तमान विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र देकर पूर्व विधायक होना दोनों में अंतर होता है. मुख्यमंत्री नायब‌ सैनी 14 वीं‌ हरियाणा विधानसभा के आज तक सदस्य ही नहीं है जबकि रणजीत सिंह मौजूदा विधानसभा की सदस्यता‌ से इस्तीफा देकर पूर्व विधायक बने हैं. आज तक पहले ऐसा कोई उदाहरण नहीं है जब प्रदेश का मंत्री‌ विधायक पद से त्यागपत्र देकर मंत्री बना रहा हो।

 

भारत के संविधान के अनुच्छेद 164(4) में किए गए उल्लेख कि कोई मंत्री, जो निरंतर 6 मास की किसी अवधि तक राज्य के विधान मंडल का सदस्य नहीं है, उस अवधि की समाप्ति पर मुख्यमंत्री नहीं रहेगा को संविधान निर्माताओं द्वारा डालने की मूल भावना यह कतई नहीं थी कि एक मंत्री जो‌ मौजूदा सदन का सदस्य हो, वह विधायक पद से त्यागपत्र देकर अर्थात पूर्व विधायक बनकर उक्त अनुच्छेद के आधार पर 6 मास तक मंत्री‌ बना रहे।

 

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वहीं दूसरी तरफ देखा देखा जाए तो चूँकि रणजीत सिंह को हिसार से भाजपा का लोकसभा उम्मीदवार घोषित कर दिया गया है, इसलिए उनका प्रदेश मंत्रिमंडल में रहने का कोई औचित्य नहीं बनता‌ परंतु इसमें कोई कानूनी अवरोध भी नहीं है।

 

हालांकि वह लोकसभा चुनाव प्रत्याशी के तौर पर उन्हें कैबिनेट मंत्री के तौर पर मिलने वाली शक्तियों, सुविधाओं और अन्य-संसाधनों का अपने और अपनी पार्टी के राजनीतिक लाभ के लिए प्रयोग नहीं कर सकते हैं क्योंकि‌ यह आदर्श आचार‌ संहिता का स्पष्ट उलंघन होगा।

 

 

 

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