Haryana News: बड़ी खुशखबरी..! हरियाणा के इन शहरों से रवाना होगी यह हाइड्रोजन ट्रेन, जानें क्या है इसकी खूबी
इस परियोजना की मुख्य विशेषताएं:
1. रूट: ट्रेन जींद से सोनीपत के बीच 90 किलोमीटर की दूरी तय करेगी।
2. रफ्तार: यह ट्रेन 140 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलेगी।
3. हाइड्रोजन प्लांट: जींद में 3000 किलो हाइड्रोजन स्टोर करने के लिए एक प्लांट स्थापित किया जा रहा है।
4. पर्यावरणीय प्रभाव: यह ट्रेन पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त होगी, जिससे कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी आएगी।
5. ग्लोबल स्तर पर स्थान: भारत फ्रांस, स्वीडन, जर्मनी और चीन के बाद दुनिया का पांचवां देश बन जाएगा, जिसने हाइड्रोजन ट्रेन शुरू की है।
ट्रायल रन: मार्च 2025 तक इस ट्रेन का ट्रायल रन शुरू करने की योजना है, जो इसकी कार्यक्षमता और सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
भारत की पहली हाइड्रोजन ट्रेन न केवल एक तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह कई अन्य पहलुओं में देश के लिए महत्वपूर्ण है। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं:
1. हाइड्रोजन ट्रेन क्या है?
हाइड्रोजन ट्रेन एक ऐसी ट्रेन है जो हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक का उपयोग करती है। यह फ्यूल सेल हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के बीच रासायनिक प्रक्रिया से ऊर्जा उत्पन्न करता है, जिससे ट्रेन चलती है। इसका एकमात्र उप-उत्पाद पानी और गर्मी है, जिससे यह 100% प्रदूषण मुक्त होती है।
2. भारत में इसका महत्व
पर्यावरण संरक्षण: भारत में रेलवे अभी भी काफी हद तक डीजल पर निर्भर है। हाइड्रोजन ट्रेन न केवल डीजल की जगह लेगी, बल्कि कार्बन उत्सर्जन को भी शून्य कर देगी।
ऊर्जा सुरक्षा: भारत हाइड्रोजन जैसे वैकल्पिक ईंधन के उपयोग से आयातित ईंधन पर निर्भरता कम करेगा।
आधुनिकरण: यह भारत के रेलवे के आधुनिकीकरण और आत्मनिर्भर भारत अभियान का हिस्सा है।
3. तकनीकी विशेषताएं
स्पीड और दक्षता: 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार और कम ऑपरेशन कॉस्ट।
कम आवाज: यह ट्रेन डीजल और इलेक्ट्रिक ट्रेनों के मुकाबले बहुत कम आवाज करती है।
पुनः इस्तेमाल योग्य ऊर्जा: हाइड्रोजन फ्यूल सेल से उत्पन्न ऊर्जा टिकाऊ और स्थिर होती है।
4. आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
रोजगार सृजन: हाइड्रोजन प्लांट और ट्रेन परिचालन से नई नौकरियों का सृजन होगा।
लागत में बचत: दीर्घकालिक दृष्टिकोण में डीजल और कोयले के मुकाबले हाइड्रोजन सस्ता और अधिक कुशल है।
स्वास्थ्य लाभ: प्रदूषण में कमी से स्थानीय समुदायों के स्वास्थ्य में सुधार होगा।
5. वैश्विक परिप्रेक्ष्य
भारत इस उपलब्धि के साथ फ्रांस, जर्मनी, स्वीडन, और चीन की कतार में शामिल होकर सस्टेनेबल ट्रांसपोर्टेशन की दिशा में एक बड़ा कदम उठाएगा। जर्मनी ने पहले ही सफलतापूर्वक 2018 में अपनी पहली हाइड्रोजन ट्रेन चलाई थी।
6. भविष्य की योजनाएं
अन्य रूट्स पर विस्तार: यदि यह परियोजना सफल होती है, तो अन्य रूट्स पर भी हाइड्रोजन ट्रेन चलाने की योजना बनाई जाएगी।
हरित ऊर्जा का इस्तेमाल: भारत भविष्य में रेलवे में पूरी तरह से ग्रीन एनर्जी का उपयोग करने की दिशा में अग्रसर है।
निष्कर्ष:
हाइड्रोजन ट्रेन न केवल भारत की तकनीकी क्षमता को बढ़ावा देती है, बल्कि यह देश के हरित भविष्य और ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।