जब रुपया नहीं था तब अपने पूर्वज कैसे खरीदते थे कोई भी चीज, जाने भारत के रुपयों से जुड़ा पुराना इतिहास ?
लेकिन क्या कभी सोचा है कि इसका इतिहास क्या है। आपको जानकारी के लिए बता दे की भारतीय रुपये का इतिहास बहुत पुराना है। भारत की कई करेंसी रही हैं जिनके बारे में शायद आपको भी न पता हो।
जानकारी के मुताबिक आपने कभी भी कही पर गांवों में आपने कभी कौड़ी, दमड़ी, धेला, पाई जैसे शब्द सुना होगा। पुराने जमाने में रुपये की कैटेगरी देखें तो यह फूटी कौड़ी से शुरू होता था। फूटी कौड़ी से कौड़ी और कौड़ी से दमड़ी बनता था। दमड़ी के बाद धेला और धेले से पाई/पैसा बनता था।
इसके बाद पैसे का बड़ा रूप रुपये में बदल जाता था। आज भी चवन्नी और अठन्नी का नाम सुनते होंगे। इसका मतलब 4 आना और 8 आना से है। वही जब 16 आना हो जाए तो वह एक रुपये में बदल जाता है।
क्या आप जानतें हैं कि,
— NCIB Headquarters (@NCIBHQ) November 16, 2023
फूटी कौड़ी एक ज़माने में हमारी करेंसी हुआ करती थी, जिसकी क़ीमत सबसे कम होती थी। तीन फूटी कौड़ियों से एक कौड़ी बनती थी और दस कौड़ियों से एक दमड़ी। आज कल के बोल चाल में फूटी कौड़ी एवं दमड़ी को मुहावरे के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है, जिसके कुछ उदाहरण इस… pic.twitter.com/jOMDfPJHc8
3 फूटी कौड़ी (Phootie Cowrie) = 1 कौड़ी
10 कौड़ी (Cowrie) = 1 दमड़ी
02 दमड़ी (Damri) = 1.5 पाई
1.5 पाई (Pie) = 1 धेला
2 धेला (Dhela) = 1 पैसा
3 पैसे (Paisa) = 1 टका
2 टका (Taka) = 1 आना
2 आना (Aana) = दोअन्नी
4 आना = चवन्नी
8 आना = अठन्नी
16 आना = 1 रुपया
प्राचीन मुद्रा से कई कहावतें बनी हैं, जो अब भी प्रचलित हैं.
जेब में फूटी कौड़ी नही और चले आये मुंह उठाकर
अगर जिंदा रहा तो आपकी कौड़ी कौड़ी अदा कर दूंगा
चमड़ी जाये पर ‘दमड़ी’ न जाए
‘धेले’ का काम नहीं करती हमारा बेटा
एक ‘फूटी कौड़ी’ भी नहीं दूंगा
‘पाई-पाई’ का हिसाब रखना
सोलह ‘आने’ सच