Karwa Chauth : छलनी से ही क्यों देखा जाता है करवा चौथ का चांद, जानें दीपक रखने का रहस्य
छलनी से चांद देखने का महत्व
छलनी से चांद देखने का धार्मिक और प्रतीकात्मक अर्थ है। छलनी से देखने का मतलब यह होता है कि महिलाएं अपने पति के लिए हर कठिनाई को छानकर, बुराइयों को दूर करती हैं।
यह इस बात का प्रतीक है कि जैसे छलनी चीजों को छानकर साफ करती है, उसी तरह वह रिश्ते में आने वाली नकारात्मकता को हटाकर उसमें प्रेम और शुद्धता को बनाए रखती है।
छलनी के माध्यम से चंद्रमा को देखने का एक और कारण यह है कि चांद को सीधे देखना महिलाओं के लिए शुभ नहीं माना जाता है, इसलिए छलनी का इस्तेमाल किया जाता है।
दीपक का महत्व
दीपक प्रकाश और ज्ञान का प्रतीक है। जब महिला छलनी पर दीपक रखकर चांद को देखती है, तो वह अपने पति के जीवन में रोशनी लाने और अंधकार को दूर करने की कामना करती है। दीपक की लौ यह दर्शाती है कि वह अपने पति के जीवन में मार्गदर्शक बनकर उसकी हर परेशानी में उसका साथ देती है।
भगवान गणेश का संबंध
करवा चौथ की पूजा में भगवान गणेश की विशेष भूमिका होती है। हर शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से होती है, क्योंकि वे विघ्नों को हरने वाले और मंगलकारी माने जाते हैं।
करवा चौथ के दिन भगवान गणेश की पूजा करके महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना करती हैं। यह भी मान्यता है कि भगवान गणेश, अपने सिर की तरह ही, चंद्रमा के साथ भी जुड़े हैं। चूंकि एक बार चंद्रमा ने भगवान गणेश का उपहास उड़ाया था, गणेश ने उसे श्राप दिया था कि उसे दोष लगेगा। इसलिए, चंद्रमा को छलनी से देखने की परंपरा शुरू हुई, ताकि चंद्रमा को सीधा न देखकर उस दोष से बचा जा सके।
इस प्रकार, छलनी से चांद देखने और दीपक रखने की परंपरा के पीछे भगवान गणेश की पूजा और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का गहरा महत्व है।