Haryana Assembly Election 2024: 12 सितम्बर से पहले मौजूदा 14 वीं हरियाणा विधानसभा का सत्र बुलानाा आवश्यक

Haryana Assembly Election 2024: भारतीय संविधान के अनुच्छेद 174(1) और सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय का हवाला देकर एडवोकेट ने भारत की राष्ट्रपति को भेजी पिटीशन

Haryana Assembly Election 2024: चंडीगढ़ – आगामी 12 सितम्बर‌ से पहले मौजूदा 14‌ वीं हरियाणा विधानसभा‌ का सत्र बुलाना संवैधानिक तौर पर अनिवार्य‌ है बेशक

‌पिछले सप्ताह 16 अगस्त को भारतीय चुनाव आयोग द्वारा 15 वीं हरियाणा विधानसभा के आम चुनाव की घोषणा हो चुकी है जिससे तत्काल प्रभाव से पूरे प्रदेश में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई है.

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और विधायी एवं संवैधानिक मामलों के जानकार हेमंत ने गत दिवस शुक्रवार 23 अगस्त को इस विषय पर‌ एक पिटीशन ( याचिका) भारत की महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को‌ भेजी थी जिसमें उन्होंने भारत के संविधान के अनुच्छेद 174(1) का हवाला देते हुए लिखा है कि चूँकि मौजूदा 14वी हरियाणा विधानसभा, जिसका कार्यकाल 3 नवम्बर 2024 तक है, एवं जिसका पिछला एक दिन का विशेष सत्र 5 माह पूर्व 13 मार्च 2024 को बुलाया गया था

जिसमें प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सैनी ने प्रदेश में सत्ता संभालने के उपरान्त सदन में विश्वास मत हासिल किया था, इसलिए भारत के संविधान के उक्त अनुच्छेद 174(1) की सख्त अनुपालना में मौजूदा प्रदेश विधानसभा का एक सत्र, बेशक वह एक दिन या आधे दिन की अवधि का ही क्यों न हो, वह आगामी 12 सितम्बर 2024 से पहले बुलाना उपरोक्त अनुच्छेद के अंतर्गत अनिवार्य है

क्योंकि उसमें स्पष्ट उल्लेख है कि विधानसभा सदन के दो सत्रों के मध्य और यदि विस्तार से कहा जाए तो पिछले सदन की अंतिम बैठक और अगले सत्र की प्रथम बैठक के बीच 6 महीने का अंतराल (अंतर) नहीं होना चाहिए.

बहरहाल, जहाँ तक हरियाणा विधानसभा का आगामी अर्थात मानसून सत्र आगामी 12 सितम्बर से पूर्व बुलाने के सम्बन्ध में और उसकी वास्तविक तारीख तय करने का विषय है, तो इस विषय पर न तो प्रदेश के राज्यपाल और न ही विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) बल्कि केवल सदन के नेता अर्थात प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सैनी की अध्यक्षता में प्रदेश कैबिनेट द्वारा ही निर्णय लिया जा सकता है हालांकि उसके बाद इस बारे में वांछित आदेश राज्यपाल के हस्ताक्षर से जारी किया जाता है.

पिछले शनिवार 17 अगस्त को सम्पन्न हरियाणा कैबिनेट की बैठक में इस विषय पर हालांकि कोई फैसला नहीं लिया गया था.

उन्होंने बताया कि बेशक चुनाव आयोग द्वारा 15वी हरियाणा विधानसभा के गठन के लिए आम चुनाव की घोषणा कर दी गई है परन्तु इसके बावजूद वर्तमान 14 वीं प्रदेश विधानसभा‌ का सत्र बुलाने‌ में कोई अवरोध नहीं है चूँकि ऐसा करना संवैधानिक अनिवार्यता है, इसलिए इस सम्बन्ध में चुनाव आयोग द्वारा भी कोई रोक नहीं लगाई जा सकती है.

बहरहाल, यह पूछे जाने पर कि क्या ऐसा कोई संवैधानिक रास्ता‌ है जिससे आगामी 12 सितम्बर‌ से नायब‌ सिंह सैनी सरकार को वर्तमान 14 वीं हरियाणा विधानसभा‌ का आगामी अर्थात मानसून सत्र बुलाने से छूट मिल सके, इस बारे में हेमंत का कानूनी मत‌ है कि अगर 12 सितम्बर‌ से पूर्व प्रदेश‌ कैबिनेट की सिफारिश पर‌ प्रदेश के राज्यपाल द्वारा मौजूदा 14 वीं प्रदेश विधानसभा‌ को समयपूर्व भंग कर दिया जाता है, तो‌‌ आगामी सत्र बुलाने की आवश्यकता नहीं होगी.

उन्होंने‌‌ इस बारे में ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ वर्ष 2002 के सुप्रीम कोर्ट के एक संवैधानिक बेंच के निर्णय का हवाला देते हुए बताया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट किया गया जा चुका है कि समयपूर्व भंग हुई विधानसभा‌ के मामले में 6 महीने में अगला सत्र बुलाने की संवैधानिक अनिवार्यता नहीं होती है.

इसी बीच हेमंत ने यह भी बताया कि चूंकि गत अढ़ाई माह से हरियाणा में राज्यसभा की एक रिक्त सीट के उपचुनाव के लिए 21 अगस्त को एकमात्र भाजपा की उम्मीदवार किरण चौधरी द्वारा नामाकन भरा गया है, इसलिए इस उपचुनाव में मतदान की कोई आवश्यकता नहीं होगी एवं लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 53(2) में नामांकन/उम्मीदवारी वापसी के अंतिम दिन अर्थात आगामी 27 अगस्त को ही रिटर्निंग आफिसर ( आर.ओ.) साकेत कुमार, आईएएस द्वारा किरण चौधरी को‌ राज्यसभा सांसद के तौर पर निर्विरोध निर्वाचित

घोषित कर दिया जाएगा और इलेक्शन सर्टिफिकेट (निर्वाचन प्रमाण पत्र) प्रदान कर दिया जाएगा.

हेमंत का कानूनी मत है कि उक्त राज्यसभा सीट के उपचुनाव के 27 अगस्त को संपन्न होने के बाद प्रदेश की सत्तारूढ़ नायब सैनी सरकार द्वारा, अगर वह चाहे हो, मौजूदा 14 वीं हरियाणा विधानसभा को समयपूर्व भंग करने की सिफारिश राज्यपाल से की जा सकती है. (Haryana Assembly Election 2024)

उसके बाद राज्यपाल की स्वीकृति पर नायब सैनी ताजा विधानसभा आम चुनाव संपन्न होने तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर पद पर बने रह सकते हैं.

हाल ही में प्रदेश सरकार द्वारा हरियाणा के राज्यपाल से कुल 5 अध्यादेश (आर्डिनेंस) भारत के संविधान के अनुच्छेद 213(1) में प्रख्यापित (जारी) करवाए गये हैं जिसमें प्रदेश में कॉन्ट्रैक्ट (संविदा ) आधार पर कार्यरत कर्मचारियों को सेवा में सुरक्षा प्रदान करने बारे एक अध्यादेश, प्रदेश के नगर निकायों (नगर निगमों, नगर परिषदों और नगरपालिका समितियों) और पंचायती राज संस्थाओं में पिछड़ा वर्ग ब्लाक बी के व्यक्तियों को आरक्षण प्रदान करने बारे कुल तीन अध्यादेश और हरियाणा शामलात (सांझा) भूमि विनियमन (संशोधन) अध्यादेश शामिल है.

हेमंत ने बताया कि अगर मौजूदा 14 वीं हरियाणा विधानसभा का अगला सत्र आगामी 12 सितम्बर से पूर्व बुलाया जाता है, तो उस सत्र में उपरोक्त पाँचों अध्यादेश प्रदेश सरकार द्वारा विधेयक के तौर पर सदन में पेश करना अनिवार्य होगा जिसके बाद सदन चाहे उन्हें पारित कर सकता है. अगर किसी भी कारण‌ से ऐसा नहीं हो‌‌ पाता है, तो‌ उस परिस्थिति में उनकी वैधता उस सत्र की तारीख से केवल 6 सप्ताह तक ही रहेगी.

बहरहाल, अगर 14 वीं हरियाणा विधानसभा को 12 सितम्बर से पूर्व भंग कर दिया जाता है, तो‌ ऐसा होने से उपरोक्त पांचों अध्यादेश की वैधता पर कोई असर नहीं पड़ेगा. 4 अक्टूबर 2024 को हरियाणा के विधानसभा आम चुनाव के नतीजों ‌‌‌ के बाद गठित 15 वीं हरियाणा विधानसभा के बुलाए गए पहले सत्र में उक्त 5 अध्यादेश को नए सदन में विधेयक के तौर पर पारित करने के लिए प्रदेश की नई सरकार द्वारा पेश किया जा सकता है. (Haryana Assembly Election 2024)

 डॉ. महेंद्र भादू सीएमओ सिरसा

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