Devi Ganga : देवी गंगा ने इस श्राप के कारण नहीं में बहा दिए थे अपने 7 पुत्र, 8वां बना था रणभूमि का सबसे बड़ा योद्धा
तोड़ दिया था वचन
देवी गंगा ने शांतनु से ये वचन लिया था की वो उसके किसी कार्य के बारे में पूछेगा नहीं । इसी वचन से बद्ध होकर गंगा के अपने 7 पुत्रों को नदी में प्रवाहित कर दिया था जिसके बाद भी राजा शांतनु कुछ नहीं बोल सके थे।
लेकिन जब देवी गंगा 8वें पुत्र को भी नदी में बहाने जा रही थी तो शांतनु ने उन्हें रोका और इसका कारण पूछा। इस पर मां गंगा ने कहा कि मैं अपने पुत्रों को वशिष्ठ ऋषि द्वारा दिए गए एक श्राप मुक्त कर रही हूं।जिस श्राप के कारण उन्होंने अपने 7 पुत्र नहीं में प्रवाहित कर दिए थे।
लेकिन 8वें पुत्र को इस कारण श्राप से मुक्ति नहीं मिल सकी। क्योंकि वे कोई और नहीं बल्कि भीष्म पितामह थे।
8वां पुत्र
पौराणिक कथा के अनुसार, गंगा के वह आठ पुत्र पिछले जन्म में 8 वसु अवतार थे। जिसमें से द्यु नामक एक वसु ने अन्य के साथ मिलकर ऋषि वशिष्ठ की कामधेनु गाय को चुरा लिया था। जब इस बात का पता ऋषि को चला, तो वह अत्यंत क्रोधित हो गए। गुस्से में ऋषि वशिष्ठ ने सभी को यह श्राप दिया कि वे सभी मृत्युलोक में मानव के रूप में जन्म लेंगे और उन्हें कई तरह के कष्टों का सामना करना होगा।
जब उन सभी को अपनी गलती का एहसास हो गया तो उन्होंने ऋषि से माफी मांगी और वशिष्ठ ऋषि ने कहा कि बाकी सातों वसु को तो मुक्ति मिल जाएगी, लेकिन द्यु को अपनी करनी का फल भोगना होगा। यही कारण है कि आठवें पुत्र अर्थात भीष्म पितामह को इस श्राप से मुक्ति नहीं मिल सकी।
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