ज्यादा पैदावार के लिए करें सरसों की इन किस्मों की बुवाई, कर देगी मालामाल, घर बैठे ऐसे खरीदें बीज
घर बैठे मंगाएं बीज (Seeds)
नेशनल सीड्स कॉरपोरेशन लिमिटेड (NSC) से सरसों (Mustard) की उन्नत किस्मों उपलब्ध हैं। किसान आसानी से NSC की वेबसाइट से सरसों (Mustard) के बीज (Seeds) ऑनलाइन ऑर्डर कर सकते हैं और भरपूर पैदावार से ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं।
नेशनल सीड्स कॉरपोरेशन की साइट पर सरसों (Mustard) की किस्में RH-761, Pusa Mustard-32, RH-725, RGN-298, Giriraj, NRCHB-101, RH-725, CS-60, RVM-1, Pant Shweta (Yollow) उपलब्ध हैं।
सरसों (Mustard) की MSP बढ़ोतरी
केंद्र सरकार ने बीते हफ्ते रबी मार्केटिंग सीजन 2025-26 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP में बढ़ोतरी की है। सरसों (Mustard) की MSP 300 रुपये बढ़ाकर 5,950 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है, जो पहले 5,650 रुपये प्रति क्विंटल थी।
बुवाई का समय और तरीका
सरसों (Mustard) फसल की समय पर बुवाई, सही भूमि उपचार, बीज (Seeds) दर और उर्वरक प्रबंधन से पैदावार में बढ़ोतरी की जा सकती है। इसके लिए किसानों को इन सिफारिशों को अपनाना चाहिए। भूमिगत कीट नियंत्रण के लिए अंतिम जुताई के समय 1।5% क्यूनॉलफॉस पाउडर 25 केजी प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में मिलाएं। 4।5 केजी (सिंचित), बारानी, लवणीय, क्षारीय क्षेत्र में 25% अधिक प्रति हेक्टेयर।
बीज (Seeds) उपचार- कार्बेन्डाजीम (बावस्टीन) की 2 ग्राम प्रति किलो बीज (Seeds)। सफेद रोली प्रभावित क्षेत्रों में एप्रोन (एस।डी। 35) 6 ग्राम प्रति केजी बीज (Seeds)। मृदाजनित रोगों की रोकथाम के लिए ट्राईकोडर्मा 6 ग्राम प्रति केजी बीज (Seeds)। प्रारंभिक अवस्था में चितकबरा कीट अथाव पेंटेड बग से बचाव के लिए इमिाक्लोप्रिड 70 डब्ल्यूपी। 7 ग्राम प्रति किलो बीज (Seeds) की दर से उपचारित कर बुवाई करें।
बुवाई का समय-
सितंबर मध्य से अक्टूबर अंत तक। पूर्वी क्षेत्रों जैसे कि पश्चिम बंगाल, असम और उड़ीसा में बुवाई नवंबर मध्य तक। सरसों (Mustard) की बुवाई पंक्तियों में सीड ड्रिलों द्वारा 30 सेमी की दूरी पर ही करें। बीज (Seeds) की बुवाई 3-5 सेमी की गहराई पर, जबकि उर्वरकों को 7-10 सेमी गहराई में डालना चाहिए।
उर्वरक
सरसों (Mustard) की खेती सिंचित में 80-120 केजी नाइट्रोजन, 50-60 केजी फास्फोरस और 20-40 केजी पोटाश, सल्फर प्रति हेक्टेयर। असिंचित में 40-60 केजी नाइट्रोजन, 20-30 केजी फास्फोरस, 20 केजी पोटाश और सल्फर। सिंचित स्थितियों में नाइट्रोजन की आधी मात्रा, फास्फोरस-पोटाशन और सल्फर की पूरी मात्रा बुवाई के समय। बाकी आधी नाइट्रोजन को पहली सिंचाई करने के बाद खेत में जब पैर चिपचिपाते हों, तब बिखेरना (टोप ड्रेसिंग) चाहिए। असिंचित फसल में सभी पोषक तत्वों की पूरी मात्रा को बुवाई के समय ही डाला जाता है।
जिंक (Jink) की कमी वाली भूमि में बुवाई से पहले 25 केजी जिंक (Jink) सल्फेट प्रति हेक्टेयर अकेले या जैविक खाद के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका उपयोग 0।5% जिंक (Jink) सल्फेट, 0।25% बुझे हुए चूने ( 500 लीटर पानी में 2.5 केजी जिंक (Jink) सल्फेट और 1.0 केजी बुझे हुए चूने का घोल प्रति हेक्टेयर) का घोल बनाकर फिर छानकर पौधे की 30 दिन की अवस्था से 15 दिन के अंतराल पर 2 छिड़काव करें।
बोरोन की कमी वाली मृदाओं में 10 केजी बोरेक्स प्रति हेक्टेयर की दर से खेतों में बुवाई से पहले मिला दिया जाए तो अच्छा फायदा मिलता है।